बाबा बेंगा की भविष्यवाणियां सच, उत्तरकाशी में बादल फटने से भयंकर तबाही 

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 2025 के लिए बाबा बेंगा द्वारा की गई भविष्यवाणियां सच साबित हो रही हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से भयंकर तबाही हुई है। सैलाब में 60 से ज्यादा लोग लापता हैं। कई घरों में पानी भर गया है। जो लोग लापता हुए हैं, उनकी तलाश में परिजन यहां से वहां भाग रहे हैं। 
बुल्गारिया की बाबा वेंगा को भविष्यवाणियां सच

बुल्गारिया की बाबा वेंगा को उनकी भविष्यवाणियों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। बाबा वेंगा को बाल्कन क्षेत्र की नॉस्त्रेदमस कहा जाता है। उनकी भविष्यवाणियों की अक्सर चर्चा होती है। एक बार उनकी भविष्यवाणियां लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उन्होंने अगस्त 2025 के लिए बड़ी भविष्यवाणी की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसमें कहा गया था कि अगस्त में दोहरी मार पड़ेगी। एक आफत धरती से आएगी दूसरी आकाश से। आखिर इसका क्या मतलब है। यह अभी भी रहस्य है। कुछ लोगों का मानना है कि शायद ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है। बता दें कि 600 साल के बाद अचानक रूस के कामचटका प्रायद्वीप में स्थित क्राशेनिन्निकोव ज्वालामुखी में विस्फोट हो गया। यह दुर्लभ और नाटकीय प्राकृतिक घटना मानी जा रही है।  जिसमें राख के विशाल बादल लगभग 4 किलोमीटर की ऊंचाई तक आकाश में फैल गए। यह ज्वालामुखी 15वीं शताब्दी के बाद पहली बार फटा है।
धराली में बादल फटने से आई भीषण 


दूसरी ओर उत्तरकाशी जिले के हिमालयी गांव धराली में बादल फटने के बाद अचानक आई भीषण बाढ़ ने वह मंजर रच दिया जिसे देखकर रूह कांप जाए। अब चारों ओर तबाही का मंजर दिख रहा है। जिन रास्तों पर श्रद्धालु जाया करते थे, वहां अब सिर्फ मलबा, टूटी दीवारें, और बहते हुए जीवन की कहानियां बची हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए कई वीडियो इस भीषण त्रासदी की गवाही दे रहे हैं। वीडियो में एक पीड़ित की टूटी हुई आवाज सुनाई देती है अब तो सब कुछ खत्म हो गया। अचानक आए इस सैलाब में लगभग पूरा गांव ही तबाह हा गया। इस जलजले में बहे 60 से ज्यादा लोग लापता हैं। कई घरों में पानी भर गया है। वही लापता लोगों की तलाश जारी है। 
2013 की दिला दी याद

इस त्रासदी ने एक बार फिर लोगों को 2013 की केदारनाथ आपदा और 2021 की ऋषिगंगा त्रासदी की डरावनी यादें दिला दीं। केदारनाथ में तीर्थयात्रियों से भरे इलाके में अचानक बादल फटने से जलजला आ गया था।वैसे ही इस बार खीर गंगा की बाढ़ ने धाराली की जीवंत बस्ती को मलबे के नीचे दबा दिया। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुए हैं, उनमें 5 से 10 मीटर ऊंची लहरें दिख रही हैं। जो मलबे के साथ मकानों, होटलों और दुकानों से टकरा रही हैं। कई इमारतें पलक झपकते ही जमींदोज होती देखी गर्इं। इसी तरह कई होटल और घर पूरी तरह मलबे में समा गए।  कुछ होटलों की सिर्फ लाल और हरी टिन की छतें ही नजर आ रही हैं। बता दें कि धाराली की यह तबाही उत्तरकाशी जिले के उस लंबे इतिहास का हिस्सा बन गई  जिसमें प्राकृतिक आपदाओं ने समय-समय पर जनजीवन को नष्ट किया है। इससे पहले 1978 में भागीरथी नदी के पास डबरानी क्षेत्र में झील बनने के कारण आई बाढ़ ने निचले इलाकों में जबरदस्त तबाही मचाई थी। गांव, सड़कें और पुल बह गए थे। कई वर्षों तक विकास कार्य ठप पड़े थे। इसी तरह  1991 में उत्तरकाशी में आए भयानक भूकंप ने 700 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। गांव के गांव उजड़ गए थे। सालों तक पुनर्वास का काम चलता रहा। 2003 में वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन ने कई बड़े होटल और इमारतें गिरा दीं थी।  2012-13 में असी गंगा और भागीरथी नदियों में बाढ़ से कई इलाकों में भारी नुकसान हुआ था। दर्जनों मकान बह गए और हजारों लोग बेघर हो गए थे। इसी तरह  2019 में अराकोट और बनगांव क्षेत्र में बादल फटने से कई लोगों की मौत हो गई थी।