नई दिल्ली। हमारा अंतरिक्ष सितारों, ग्रहों और अनगिनत विस्मयकारी नजारों से भरा है। इसी नजारों में एक है उल्का पिंडों की बौछार। रात के शांत आसमान में जब तारे टूटते हुए नजर आते हैं, तो यह दृश्य बेहद रोमांचकारी होता है। जल्द ही आसमान में उल्का पिंडों की बारिश होने वाली है, जिसे लेकर वैज्ञानिक रोमांचित हैं। खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए अगस्त बेहद रोमांचकारी होने वाला है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में इस माह आसमान में हर रात कुछ न कुछ नया और अद्भुत दृश्य दिखाई देगा। चाहे वह उल्कापिंडों की बौछार हो या चंद्रमा के साथ शुक्र और बृहस्पति का आलिंगन या फिर 26 अगस्त को मंगल ग्रह के बगल में झूलता नाजुक अर्धचंद्र। धरती से दिखने वाला यह नजारा वाकई दिलचस्प होने वाला है।
उल्का पिंडों की होगी बारिश
जिस खगोलीय घटना का वैज्ञानिकों को सबसे ज्यादा इंतजार है वह है पर्सिड उल्का की बारिश। जो आज से 24 अगस्त तक आसमान में अपनी चमक बिखेरती रहेगी। पर्सिड को उल्का पिंडों की ‘क्वीन’ कहा जाता हैैं। भारत में इस खूबसूरत नजारे को देखने का सबसे अच्छा समय 13 अगस्त की आधी रात के बाद होगा। जिसे पहाड़ी इलाकों जैसे लद्दाख, स्पीति, कच्छ के रण और कर्नाटक या उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों से देखा जा सकेगा, जहां कृत्रिम रोशनी कम होती है।
25 साल में एक बार होती है घटना
वैज्ञानिकों के अनुसार, पर्सिड उल्का पिंडों की बारिश, ग्रहों का कंजक्शन और चंद्रमा के साथ ग्रहों की नजदीकी हर साल अलग-अलग रूपों में घटती रहती है। लेकिन इस बार पर्सिड का चरम, शुक्र-बृहस्पति की युति, चंद्रमा का उनके साथ आना और मंगल के साथ अर्धचंद्र का मिलन एक साथ दिखाई दे रहा है। ऐसा संयोग 20 से 25 साल में एक बार ही बनता है। इसकी मुख्य वजह ग्रहों के परिक्रमा पथ, पृथ्वी की स्थिति, चंद्र चक्र और उल्कापिंडों की बौछार के समय का तालमेल है। जिससे इस तरह की घटनाएं होती हैं।
अर्धचंद्र, शुक्र और बृहस्पति का ‘त्रिग्रहीय मिलन’
इसके अलावा, एक खगोलीय घटना 11-12 अगस्त को दिखाई देगी। जब शुक्र और बृहस्पति एक-दूसरे के सबसे नजदीक, सिर्फ 1 डिग्री की दूरी पर होंगे। यह दृश्य सूर्योदय से ठीक पहले पूर्व दिशा में दिखाई देगा। वहीं, 19-20 अगस्त को एक पतला अर्धचंद्र, शुक्र और बृहस्पति के बीच में आकर ‘त्रिग्रहीय मिलन’ जैसा नजारा पेश करेगा। इसके अलावा, 26 अगस्त को चांद और मंगल का रूमानी मिलन दिखाई देगा। सूर्यास्त के बाद पश्चिम की ओर एक अर्धचंद्र चांद और उसके ठीक बगल में एक छोटा सा चमकीला लाल बिंदु मंगल ग्रह का होगा। यह दृश्य रात 8 बजकर 15 मिनट से एक घंटे तक दिखाई देगा। अगर आप खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखते हैं तो खूबसूरत नजारों को देखने के लिए तैयार हो जाइये।