नई सदी का पुष्पक

नई दिल्ली। 22 मार्च का दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बेहद खास रहा। चन्द्रयान-3 के बाद अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को एक और कामयाबी मिली। इसरो ने दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले लॉन्च व्हीकल पुष्पक का सफल परीक्षण किया। यह आॅटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंड हुआ। यह अंतरिक्ष की उड़ान में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल अंतरिक्ष मिशन सस्ते हो जाएंगे साथ ही दुश्मन देश को इससे जवाब दिया जा सकेगा। इसरो ने पुष्पक विमान को सफलतापूर्वक लैंड कराकर इतिहास रच दिया। पुष्पक विमान एसयूवी के साइज का पंखों वाला रॉकेट है, जिसे 'स्वदेशी स्पेस शटल' भी कहा जा रहा है। इस रॉकेट को भारत की एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। पुष्पक विमान के इस टेस्ट को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में किया गया। इस स्वदेशी स्पेस शटल के धार्मिक महत्व की बात करें, तो इस रॉकेट का नाम रावण के पुष्पक विमान के नाम पर रखा गया है लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि रावण का पुष्पक विमान रावण का था ही नहीं बल्कि रावण ने इसे अपने भाई कुबेर से छीना था। माना जाता है कि उस समय के अनुसार इस विमान में आज की टेक्नोलॉजी की तरह ही ऐसी कई विशेषताएं थीं, जिसके कारण पुष्पक विमान को आदिकाल का पहला आधुनिक विमान भी माना जाता है। उस युग में पुष्पक विमान की चर्चा तीनों लोकों में फैली हुई थी। अब आइए जानते हैं कि आधुनिक पुष्पक विमान की खास बातें। 22 मार्च को इसरो ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक यानी लॉन्च व्हीकल को दोबारा इस्तेमाल करने वाली तकनीक का सफल परीक्षण किया। कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में 7 बजकर 10 मिनट पर इसरो का पुष्पक सफलतापूर्वक आॅटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंड हुआ। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लैंडिंग पर इसरो ने बयान जारी कर बताया कि यह बड़ी उपलब्धि है। गौरतलब है कि पुष्पक खास तरह का स्पेस शटल है। यह अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और कार्गो ले जाने का काम करेगा। इससे पहले 2 अप्रैल 2023 को इसरो ने भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर इसका लैंडिंग टेस्ट किया था। उस समय चिनूक हेलिकॉप्टर से पुष्पक को 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया था। जिसके बाद यान ने खुद ही सफल लैंडिंग की। पुष्पक पूरी तरह से स्वदेशी है। कुछ साल में हमारे एस्ट्रोनॉट्स इसके बड़े वर्जन में कार्गो डालकर अंतरिक्ष तक पहुंचा सकते हैं। साथ ही इससे सैटेलाइट लॉन्च की जा सकती है।
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दोबारा होगा इस्तेमाल


पुष्पक स्पेस शटल अपने साथ सैटेलाइट को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा और उसको वहां छोड़कर वापस आएगा। इसके बाद यह फिर से उड़ान भर सकेगा। इतना ही नहीं इसके जरिए किसी भी देश के ऊपर जासूसी करवाई जा सकती है। यह अंतरिक्ष में ही दुश्मन की सैटेलाइट को बर्बाद कर सकता है। ऐसी ही टेक्नोलॉजी का फायदा अमेरिका, रूस और चीन भी उठाना चाहते है। इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में कचरा साफ करने और सैटेलाइट्स की मरम्मत के लिए भी किया जा सकता है।
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दुश्मन पर कर सकता है हमला


यह एक आॅटोमेटेड रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल है। ऐसे विमानों से डायरेक्टेड एनर्जी वेपन चला सकते हैं। पुष्पक से बिजली ग्रिड उड़ाना या फिर कंप्यूटर सिस्टम को नष्ट करना जैसे काम भी किए जा सकते हैं। 

सैटेलाइट लांच पर कम खर्च 


इससे सैटेलाइट लॉन्च का खर्च 10 गुना कम हो जाएगा। थोड़ा मेंटेनेस के बाद इससे फिर लॉन्चिंग किया जा सकता है। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल के अत्याधुनिक और अगले वर्जन से भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस में भी भेजा जा सकता है। अभी ऐसे स्पेस शटल बनाने वालों में अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और जापान का नाम शामिल है। इसरो का मकसद है कि साल 2030 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाए जिससे बार-बार रॉकेट बनाने का खर्च बच सके।