मिल्की वे गैलेक्सी के बीचों-बीच उठी रहस्यमयी लहर से भटक रहें तारे

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। मिल्की वे गैलेक्सी के बीचों-बीच एक रहस्यमयी लहर उठी है। जिसने हजारों तारों को उनकी राह से हटा दिया है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के स्पेस टेलीस्कोप ने इस लहर को ट्रैक किया है। इसने लगातार 12 साल तक अरबों तारों की गतिविधि को रिकॉर्ड किया। इसमें पता चला कि हमारी गैलेक्सी का डिस्क डगमगा रहा है।

ब्रह्मांड ने खोला रहस्य 

वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड ने इस बार ऐसा रहस्य खोला कि उनका दिमाग हिल गया। रिसर्चर्स ने आकाश में एक बेहद अजीब और लंबी अवधि वाला विस्फोट देखा। यह कोई आम घटना नहीं थी। इसे गामा-किरण विस्फोट या जीआरबी 250702बीडीई नाम दिया गया। आमतौर पर गामा-रे बर्स्ट कुछ सेकेंड या मिनट तक रहते हैं, लेकिन यह पूरे दिन तक लगातार सक्रिय रहा। वैज्ञानिक इस रिकॉर्ड-ब्रेकिंग घटना को समझा पाने में असमर्थ रहे। यह घटना हमारी आकाशगंगा से बाहर हुई और इसकी प्रकृति अब तक देखी गई किसी भी जीआरबी से अलग है। 

जीएआईए स्पेस टेलीस्कोप का कमाल

यूरोपियन स्पेस एजेंसी यानी ईएसए के जीएआईए स्पेस टेलीस्कोप ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। जिसमें पाया गया कि हमारी गैलेक्सी का डिस्क किसी स्पिनिंग टॉप की तरह डगमगा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये गैलेक्सिक वेव यानी विस्फोट 30,000 से लेकर 65,000 प्रकाश वर्ष दूर तक के तारों को प्रभावित कर रहा है। अब सवाल उठता है कि आखिर ये कॉस्मिक लहर कहां से आई और इसका असर हमारी गैलेक्सी के भविष्य पर क्या होगा। इस सवाल के जवाब में ईएसए के वैज्ञानिकों ने साफ किया है कि इस वेव की शुरूआत अभी तक मिस्ट्री यानी रहस्य बनी हुई है। माना जा रहा है कि मिल्की वे की किसी छोटी ड्वार्फ गैलेक्सी से टक्कर हो गई थी। इसके बाद ये हलचल पैदा हो गई। बता दें कि जब कोई बाहरी गैलेक्सी हमारी गैलेक्सी से टकराती है तो उसके ग्रैविटेशनल पुल की वजह से तारे अपनी पोजिशन से हटने लगते हैं। 
प्राचीन घटना आज तक दिखा रही इफेक्ट 

दूसरी ओर अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा भी हो सकता है कि ये कोई प्राचीन घटना हो जो आज तक इफेक्ट दिखा रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारी गैलेक्सी में भी ऊपर-नीचे हिलती लहरें नजर आती हैं। तारे एक तरफ से उठते हैं और दूसरी तरफ जाकर बैठ जाते हैं। ये लहरें गैलेक्सी के डिस्क में बहुत दूर तक फैली हुई है। इस स्टडी में खास तौर पर नए तारों और सेफीड्स को ट्रैक किया गया है। बता दें कि सेफीड्स ऐसे तारे होते हैं जिनकी ब्राइटनेस बदलती रहती है। ये तय पैटर्न में चलते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनकी मूवमेंट भी वेव के साथ चलती है। इसका मतलब है कि गैलेक्सी के गैस क्लाउड्स भी इस लहर में शामिल हो जाता है। जिन गैस से नए तारे जन्म लेते हैं वही गैस इस वेव का हिस्सा बन चुकी है। बता दें कि इससे पहले साइंटिस्ट्स ने एक और स्ट्रक्चर खोजा था। जिसे रेडक्लिफ वेव कहा गया। ये हमारे सूर्य से लगभग 500 प्रकाश वर्ष और 9,000 प्रकाश वर्ष लंबा है।