आईएनएस ‘माहे’ का कमाल, ढूंढ-ढूंढकर करता है सफाया

जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना को एक और गेमचेंजर युद्धपोत मिल गया है। यह पानी के नीचे हर खतरे को तबाह कर देगा। रक्षा जानकार इसे पनडुब्बियों का मौन शिकारी बता रहे हैं। इस स्वदेशी युद्धपोत का नाम आईएनएस माहे है।
भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा 

भारतीय नौसेना की ताकत में आज बड़ा इजाफा हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पनडुब्बी रोधी युद्धक जहाज आईएनएस माहे नौसेना में शामिल हो गया। पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग आॅफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की अगुवाई में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने की।  माहे का जलावतरण स्वदेशी उथले पानी के लड़ाकू विमानों की एक नई पीढ़ी के आगमन का प्रतीक है। यह आकर्षक, तेज और पूरी तरह से भारतीय है। यह युद्धपोत डिजाइन, निर्माण और एकीकरण में भारत के बढ़ते महारत को दर्शाता गया है। यह नया सबमरीन हंटर दुश्मन की पनडुब्बियों को गहरे के साथ उथले पानी में भी खोजकर तबाह करने में सक्षम है। यह आत्मनिर्भर भारत के तहत 80 प्रतिशत स्वदेशी उपकरणों से निर्मित है।
हिंद महासागर तक बढ़ेगी सुरक्षा

यह अरब सागर से लेकर हिंद महासागर तक भारत की समुद्री सीमाओं के हर इंच की रक्षा करेगा। माहे आईएनएस क्लास का पहला सबमरीन हंटर है। आईएनएस माहे पश्चिमी समुद्र तट पर एक साइलेंट हंटर के रूप में काम करेगी। अपने विशेष फायरपावर के कारण इसे दुश्मनो का काल माना जा रहा है। स्टील्थ तकनीक और गतिशीलता इसकी पहचान है। यह आकार में कॉम्पैक्ट लेकिन क्षमताओं में बेहद शक्तिशाली है। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि माहे की कमीशनिंग से कम पानी में लड़ने वाले देसी जहाजों की एक नई पीढ़ी का आगमन हुआ है। यह फुर्तीले, तेज और पक्के इरादे वाले भारतीय हैं। बता दें कि पनडुब्बी रोधी पोत माहे नौसेना में ठीक उस समय शामिल हो रहा है, जब पाकिस्तान ने चीन के साथ पांच अरब डॉलर में आठ उन्नत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का सौदा किया है। इसके तहत पहली पनडुब्बी के 2026 में पाकिस्तानी नौसेना में शामिल होने की संभावना है। 2028 तक सभी आठ पनडुब्बियां शामिल हो जाएंगी। आईएनएस माहे चीन और पाकिस्तान की इस बड़ी साजिश का तोड़ बताया जा रहा है। इस मामले पर भारतीय नौसेना का कहना है कि भारत ने एंटी-सबमरीन वारफेयर के लिए पूरी कमर कस रखी है। वाइस चीफ वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन का कहना है कि हमें पूरी जानकारी है कि चीन पाकिस्तान को पनडुब्बियां दे रहा है। जल्द ही उनका इंडक्शन शुरू होगा, लेकिन हम भी हर स्थिति पर नजर रख रहे हैं। हमें पता है कि एंटी-सबमरीन वारफेयर के लिए किन क्षमताओं की जरूरत है। आईएनएस माहे दोनों देशों को जवाब देने में सक्षम है।
आईएनएस माहे 78 मीटर लंबा 

आईएनएस माहे 78 मीटर लंबा और करीब 1,150 टन वजनी है। यह अंडरवॉटर खतरों को पलक झपकते ही खत्म कर देने वाला भारत का नया सबमरीन किलर है। माहे-क्लास के कुल 16 एएसडब्ल्यू युद्धपोत भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे हैं। जिसमें से पहले 8 जहाज पूरी तरह एंटी-सबमरीन स्पेशलाइज्ड होंगे। माहे इस श्रृंखला का सबसे पहला जहाज है। हर 6-6 महीने में इस क्लास के नए जहाज नौसेना को सौंपे जाएंगे। इसके साथ ही साल 2029 तक सभी जहाज सेवा में आ जाएंगे। माहे की सबसे बड़ी ताकत इसकी डुअल-सोनार क्षमता है। यह एक डीप वाटर के लिए और एक शैलो वाटर के लिए है। यानी चाहे दुश्मन की पनडुब्बी गहरे पानी में छिपी हो या तट के पास यह उसे ढूंढ निकालने में सक्षम है। यह जहाज आधुनिक डिटेक्शन सिस्टम, दो सोनार और उन्नत सेंसरों से लैस है। यह किसी भी सब-सरफेस थ्रेट को बहुत कम समय में ट्रैक, लॉक और न्यूट्रलाइज कर सकता है। यह एक जहाज नहीं बल्कि भारतीय नौसेना की नई आंख और कान है, जो पानी के नीचे छिपे किसी भी दुश्मन को खोज निकालने की क्षमता रखता है।